आखिर इम्युनिटी कितनी जरूरी है | डॉ. अबरार मुल्‍तानी | After all, how important is immunity | Dr. Abrar Multani

Published by डॉ. अबरार मुल्‍तानी on   April 30, 2021 in   2021Health Mantra

आखिर इम्युनिटी कितनी जरूरी है

प्रकृति ने हमारे शरीर में ऐसी व्यवस्था बनाई हुई है, जो हमें घातक जीवाणुओं, विषाणुओं और माइक्रोब्स से बचाती है। इसे ही रोग प्रतिरोधक शक्ति या इम्यूनिटी कहा जाता है। जिसकी इम्यूनिटी मजबूत हो, उसके शरीर में रोगाणु पहुंचकर भी नुकसान नहीं कर पाते। जब बाहरी रोगाणुओं के सामने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ती है, तो इसका असर सर्दी, जुकाम, फ्लू, खांसी, बुखार वगैरह के रूप में हम सबसे पहले देखते हैं।जिन्‍हें ये तकलीफें बार बार हों, उन्हें जान लेना चाहिए कि उन्‍हें अपनी इम्युनिटी मजबूत करनी चाहिए।

आयुर्वेद में एक बहुत ही प्रसिद्ध सिद्धांत है रोग प्रतिरोधक क्षमता को समझने का और वह सिद्धांत कहलाता है – ‘क्षेत्र और बीज सिद्धांत’। इस सिद्धांत के अनुसार रोगाणु को बीज माना गया है और शरीर को क्षेत्र यानी खेत। अब जब बीज ऐसे खेत में रोपित किया जाए जो कि बहुत उपजाऊ है तो वहां पर वह बीज पनपेगा और अपने अस्तित्व को प्रदर्शित करेगा। लेकिन यदि बीज को ऐसे खेत में रोपा जाए जो बंजर हो, तो वहां बीज नहीं उग पाएगा। रोगाणु और शरीर का भी ऐसा ही रिश्ता है। शरीर सख्त (बंजर) होगा तो रोगाणु उसमें पनप नहीं पाएगा और शरीर कमजोर (उपजाऊ) होगा तो रोगाणु उसमें बहुत तेजी से और बहुत ज्यादा मात्रा में पनप जाएंगे। हमें चाहिए कि हम अपने शरीर को शक्तिशाली बना लें ताकि उस पर कोई रोगाणु आक्रमण न कर सके। बस इसी को इम्यूनिटी कहते हैं।आयुर्वेद में इम्यूनिटी को व्याधि-क्षमत्व भी कहा जाता है। इसे बल और ओज के रूप में भी जाना जाता है। हमें किसी भी प्रकार के संक्रमण से इम्यूनिटी ही बचाती है। कैसे पता चले कि इम्यूनिटी कमजोर हो गई है? जल्दी जल्दी बीमारियों की चपेट में आना, सर्दी- जु़काम-खांसी बनी रहना, गले में खराश या सांस लेने में तकलीफ आदि समस्याएं आपको बार बार होती रहें तो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो गई है। तनाव, थकान और सुस्ती आदि भी कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के लक्षण हैं।

अगर घाव भरने में काफी समय लगे तो, भी समझ लीजिए कि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है।अगर आपको कुछ भी खाने-पीने से जल्दी इंफेक्‍शन हो जाता है, पेट खराब हो जाता है तो रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर ही मानें। कमजोर इम्युनिटी निम्न कारणों से हो सकती है –
– पोषक तत्वों से विहीन खाना या जंक फूड कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता का प्रमुख कारण है। खान-पान सही न होना कमजोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता का कारण बन सकता है।
– नशीले पदार्थों का सेवन करने से भी रोग-प्रतिरोधक क्षमता घटती है।
– कमजोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता ऐसे लोगों में अधिक रहती है, जो पर्याप्त मात्रा में नींद नहीं लेते है।
– जो व्यक्ति व्यायाम न करे उसकी भी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है।
– बार-बार रोग से पीड़ित होने से भी शरीर कमजोर हो जाता है और हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को घटात हैं। इसलिए रोगी व्यक्ति कई बार रोगों में उलझता जाता है। कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के क्या नुकसान हैं?
– कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण बार बार संक्रमण का जोखिम बना रहता है।
– कमजोर रोगप्रतिरोधक क्षमता के कारण शरीर के अंगों पर भी बुरा असर पड़ता है जैसे लिवर, दिल, फेफड़े, मस्तिष्क आदि।

आसान उपाय जो आपकी इम्युनिटी बहुत बढाए़ंगे:
१. सेब के सिरके में भीगी हुई लहसुन की २ कलियां एक दिन छोड़कर लें। सेब का सिरका और लहसुन दोनों ही इम्यूनोमॉड्यूलेटर होते हैं। इसलिए यह इम्युनिटी बढाऩे का बडा आसान उपाय है।
२. हल्दी पॉवडर आधा चम्मच और उसमें शहद मिलाकर रोजाना सोते समय दूध से लें। इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए हल्दी बहुत उपयोगी है। शहद भी इम्यूनोमॉड्यूलेटर है।
३. आंवला आधा चम्मच लीजिए और उसमें शहद मिलाकर रोजाना सुबह लें। आंवला विटामिन सी का सर्वश्रेष्ठ स्रोत है और विटामिन सी इम्यूनिटी के लिए जिम्मेदार है।
४. भोजन पकाने में हल्दी, जीरा, धनिया, लहसुन, दालचीनी, तेजपात, मेथी, लौंग, काली मिर्च, अदरक, छोटी-बड़ी इलाइची आदि उपयोग किया जाना चाहिये।
५. धूप से बेहतरीन और मुफ्त का इम्यूनिटी बूस्टर कोई और नहीं है। यह विटामिन डी का स्रोत है जो इम्यूनिटी के लिए जिम्मेदार विटामिन्स में से एक है। रोजाना कम से कम ३० मिनट धूप में बिताएं।
६. आचार रसायन आयुर्वेद में वर्णित एक विशेष प्रकार का रसायन है। आयुर्वेद के अनुसार रोगों का नाश एवं युवा बने रहने के लिए केवल औषधियों का ही सेवन आवश्यक नहीं है। अच्छा आचार-विचार भी रसायन औषधियों (बुढ़ापा नाशक और रोगप्रतिरोधक क्षमता वर्धक औषधि) जैसा कार्य करते हैं। सत्य बोलना, क्रोध न करना, शान्ति प्रिय होना, दूसरों की मदद करना, सभी प्राणियों के प्रति दया भाव रखना, अहंकार-रहित आचरण करने वाले व्यक्ति को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाऩे वाली श्रेष्ठ औषधियों को खाने जितना ही लाभ होता है।
७. ध्यान, प्रार्थना या इबादत करें। जब मन शांत और भय मुक्त रहता है तो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बहुत बढ़ जाती है।
८. जंक फूड, दूषित पानी और भोजन से बचें, नशे से दूर रहें, तनाव से बचें।

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डॉ. अबरार मुल्‍तानी