योग और इम्यूनिटी | डॉ नाजिया खान (आयुर्वेदाचार्य) | Yoga And Immunity | Dr. Naziya Khan (Ayurvedacharya)

Published by डॉ नाजिया खान (आयुर्वेदाचार्य) on   June 1, 2022 in   Health MantraHindi

योग और इम्यूनिटी

‘योग भगाए रोग’ या ‘योगा से होगा’ आप सबने सुना ही होगा, आजकल काफी प्रचलित है। यूं तो योग का इतिहास पांच हजार वर्ष से अधिक पुराना है, लेकिन इस कोविड-काल में लोग इसके प्रति विशेष जागरूक और आकर्षित हुए हैं। इसीलिये आजकल ऐसे प्रोग्राम्स और लेखों की बाढ़ आ गई है, जिसमें कोई चार-छह योगासन बताए जाते हैं, जो इम्यूनिटी-बूस्टर या रोग प्रतिरोधक-क्षमता बढात़े हैं। जबकि ‘आसन’ योग के आठ अंगों में से महज एक अंग है। योग किसी व्यायाम का प्रकार या ब्रीदिंग टेक्नीक भर नहीं है। योग सप्त दर्शनों में से एक दर्शन है।

महर्षि पतंजलि (योग दर्शन के उपदेष्टा, योगसूत्र रचयिता) के अनुसार ‘योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः’ अर्थात चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है। जैसे पानी में पत्थर फेंकने पर तरंगें उठती हैं, वैसे ही किसी बाहरी विचार रूपी कंकर से मन में भी वृत्तियां उठती हैं। इसका मतलब है कि अगर आप मन की चंचलता या गतिविधियों को स्थिर कर सकते हैं, तो आप योग साध सकते हैं। लेकिन क्या यह इतना आसान है? चित्त की वृत्तियां प्राकृतिक हैं,  इनबिल्ट हैं तो जो प्रोग्रामिंग प्रकृति ने की है हम उसे मिटा या हटा नहीं सकते, बस क़ाबू कर सकते हैं और यही संतुलन मायने रखता है। मनुष्य भी पशु ही है। बस कुछ वृत्तियों को अपनी बुद्धि और आत्मबल से काबू करके ही वह जंगलीपन से मुक्त हुआ है।

योग के आठ अंग हैं, इसलिये यह अष्टांग-योग कहलाता है – यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि। हम जिसे योग या योगा समझते हैं, वह केवल आसन है।

‘स्थिरसुखमासनम्’ अर्थात् स्थिर और आरामदायक अवस्था में बैठना आसन कहलाता है। अतः जो अष्टांग योग साधता है, वही योगी कहलाने की अहर्ता रखता है।

अब कुछ बातें इम्यून सिस्‍टम या प्रतिरक्षक-तंत्र के बारे में भी समझ लें। जिस हवा में हम सांस ले रहे हैं, जिस वातावरण में हम रह रहे हैं, जो पानी पी रहे हैं, जो चीजें खा रहे हैं, असंख्य रोगाणु लिए हुए हैं, लेकिन क्या हम रोज बीमार पड़ते हैं, नहीं। यही इम्यून सिस्‍टम हमें बचाए हुए है। यह हमारा पर्सनल सुपर हीरो है। पर ध्यान दें, इम्यून ‘सिस्‍टम,’ होता है, मतलब समुच्चय होता है। यह कोई अकेला अवयव नहीं है और यकीन मानिये, प्रतिरक्षा-तंत्र जटिलतम तंत्रों में से एक है। जरूरी नहीं है कि हर व्यक्ति में सारे रोगाणुओं के विरुद्ध इम्यूनिटी विकसित हो ही जाए, चाहे जो भी उपाय वे कर लें। किसी-किसी में बिन अतिरिक्त उपायों के भी इम्यूनिटी मजबूत होती है, किसी में सब कर लेने पर भी विकसित नहीं होती या बहुत कमजोर होती है। साथ ही यह इम्यूनिटी भी अलग-अलग प्रकार की होती है। किसी रोग के प्रति अधिक, किसी के प्रति कम भी होती है। प्रतिरक्षा-तंत्र को काम करने के लिये बहुत संतुलन और सामंजस्य की जरूरत होती है। कोई इम्यूनिटी बूस्टर टैबलेट, सीरप, हेल्थ सप्लीमेंट, डाइट, एक्सरसाइज, योग यह दावा नहीं कर सकता कि वह आपको किसी विशेष बीमारी के प्रति इम्यून कर ही देगा। यह एक-दो दिन या सप्ताह की प्रक्रिया नहीं है और इसके बहुत से रहस्य अभी भी चिकित्सकों और वैज्ञानिकों के लिये अनसुलझे हैं।

पर यह जरुरत है कि डाइट, एक्सरसाइज, दिनचर्या, धूम्रपान, मद्यपान, नींद, उम्र, वजन, हाइजीन और आनुवंशिकी आदि का इस पर सीधा प्रभाव पड़ता है।

अगर हम योग की बात करें, तो सही तरह से, प्रशिक्षकों की देख-रेख में किये गए योगासन, और श्वास-नियंत्रण अभ्यास, प्राणायाम और ध्यान न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अमृत हैं। योग का सम्बन्ध और महत्व केवल व्यायाम तक न सिमटकर आध्यात्मिक अधिक है। आजकल योग के तीन अंग प्रचलन में हैं – प्राणायाम, आसन और ध्यान। अगर हम इन्हें दिनचर्या में सम्मिलित करके नियमित अभ्यास करें, तो ही लाभ होगा।

विशेषकर कोविड-काल में प्राणायाम बहुत ही लाभदायक है। यह फेफड़ों को मजबूत बनाता है, ऑक्‍सीजन का स्तर बनाए रखता है, शरीर के साथ-साथ मन को भी शांति देता है।

अगर आपने अभी शुरुआत नहीं की है या नया-नया शुरू किया है, तो सबसे पहले कपाल-भाती करें,फिर अनुलोम-विलोम। फिर अपनी शारीरिक-क्षमता, काल एवं अवस्था के अनुसार कम समय से शुरू करके धीरे-धीरे भस्त्रिका, भ्रामरी, सूर्यभेदी, उज्जायी, सीत्कारी, शीतली, योग-निद्रा, नाड़ी-शोधन आदि का अभ्यास बढाऩा चाहिये।

इसके बाद योगासन करना चाहिये, जैसे- भुजंगासन, मर्कटासन, मकरासन, पवन-मुक्तासन, सेतु बंधासन, वज्रासन, चक्रासन, हलासन, भद्रासन, धनुरासन, अर्ध-मत्स्येन्द्रासन, गोमुखासन आदि। इसमें भी अपनी क्षमता और स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिये।

हृदय-रोग, उच्च-रक्तचाप, अल्सर, कोलाइटिस, हर्निया, जोड़ों के दर्द, किसी सर्जरी से गुजर चुके लोग और गर्भावस्था में कोई कठिन आसन न करें न ही विशेषज्ञ के परामर्श के बिना कोई आसन करें। पॉश्चर और मुद्रा सही रखने का भी ध्यान रखें।

जिस प्रकार एक दिन में हम वर्ष-भर का भोजन नहीं कर सकते, उसी प्रकार महज एक दिन कोई योग-दिवस मना लेने से भी कोई बदलाव नहीं आ सकता। अतः इनका अभ्यास नियमित रखें, तभी यह इम्यूनिटी बूस्ट करने में, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने में लाभदायक सिद्ध होगा।

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डॉ नाजिया खान (आयुर्वेदाचार्य)