गांधीजी की पेंसिल | आदित्‍य प्रकाश सिंह | Gandhi’s Pencil | Aditya Prakash Singh

Published by आदित्‍य प्रकाश सिंह on   July 1, 2022 in   Hindi

गांधीजी की पेंसिल

एक दिन काका कालेलकर गांधीजी से मिलने उनके निवास पर पहुंचे। उन्‍होंने देखा कि गांधीजी परेशान थे और कुछ खोज रहे थे। काका कालेलकर ने पूछा, ‘बापू, क्‍या हुआ, क्‍या गुम गया है। आप कुछ खोज रहे हैं। क्‍या मैं आपकी मदद कर सकता हूं’। गांधीजी बोले, ‘मेरी एक पेंसिल नहीं मिल रही है। अभी अभी तो यहीं थी, जाने कहां चली गयी’। काका कालेलकर ने उनसे कहा कि ये लीजिए मेरीपेंसिल, इससे लिख लीजिए। पर गांधी जी नहीं माने, उन्‍होंने कहा कि जब तक पेंसिल नहीं मिलेगी, उन्‍हें बेचैनी रहेगी। इस पर काका कालेलकर ने पूछा, ऐसा क्‍या खास था उसमें बापू। गांधीजी ने जवाब दिया, वो पेंसिल मुझे एक बालक ने बड़े प्रेम से दी थी और मुझसे वचन लिया था कि मैं इसे इस्‍तेमाल करूंगा। मैं उसे खोजकर ही दम लूंगा। काका कालेलकर ने उनकी मदद की और पेंसिल मिल भी गयी। जब मिली तो गांधी जी बोले, अब मेरी जान में जान आयी। ऐसा था महात्‍मा गांधी का बच्‍चों के प्रति प्‍यार।

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संकलन – आदित्‍य प्रकाश सिंह