पूरी दुनिया इस कहावत को जानती है कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता है । जीवन में सफलता पाने के लिए कड़े-परिश्रम के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है । सदियों से हर पीढ़ी अपने बाद आने वाली पीढ़ी को यही बात सिखाती आयी है कि सफलता बहुत कठोर परिश्रम से ही मिलती है । ऐसे कितने ही उदाहरण है, कि मामूली पृष्ठभूमि के लोग केवल अपनी मेहनत से शिखर पर पहुंचे । देश के दो राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और एपीजे अब्दुल कलाम की सफलता से सबक लिया जा सकता है । दुनिया में पहली पीढ़ी की ऐसी अनेक सफल और नामी हस्तियां हैं, जिन्हें विरासत में अपने परिवार से कुछ नहीं मिला, पर वे अपनी लगन से आगे बढ़े ।
क्या इन सफल हस्तियों की किस्मत बहुत अच्छी थी या फिर इनमें एक ऐसी प्रतिभा थी, जो दूसरे लोगों में नहीं पायी जाती ? क्यों कुछ नामी कंपनियां महज कुछ सौ डॉलर या कुछ हजार रुपयों से अपना व्यवसाय शुरु करके कुछ ही वर्षों में सफलता के ऊंचे पायदान पर जा पहुंची ? माइकल डेल की कंपनी डेल इंक की शुरुआत 1000 डॉलर से हुई और सालभर में वह 60 लाख डॉलर की बिक्री करने वाली कंपनी क्यों और कैसे बन गयी ?
कैसे साधारण परिवार में जन्में कुछ युवा आज के सबसे अमीर और सफल युवाओं में शामिल हो गये ?मशहूर सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग को किसी पहचान की जरुरत है क्या ?
आखिर ‘चिकन सूप फॉर द सोल’ के सह लेखक जैक कैनफील्ड एक सामान्य वक्ता से अरबपति लेखक कैसे बन गये ?यह सब किस्मत का खेल नहीं था ।” दुनिया की इन नामी हस्तियों ने कोई शॉर्टकट न अपनाकर मेहनत से यह मुकाम हासिल किया । दरअसल सफल लोग कोई अलग काम नहीं करतें, बल्कि वे काम को अलग ढंग से करते हैं । “
मुंबई की प्रेमा जयकुमार का ही उदाहरण लें । उन्होंने दिखा दिया कि सफलता के लिए धन-दौलत, पूरी तरह से अनुकूल माहौल,पढ़े-लिखे मां-बाप और कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ना ही जरुरी नहीं है । सच्ची लगन और मेहनत ही सफलता पाने के सबसे आसान तरीके हैं। प्रेमा ने अखिल भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंसी (सीए) की परीक्षा में पहला स्थान हासिल किया । वह मुंबई के उपनगर मालाड में रहने वाले एक ऑटोरिक्शा चालक जयकुमार पेरुमल की बेटी हैं। उनका परिवार 300 वर्ग फूट के कमरे में रहता है । चॉल में आस-पास हो-हल्ला होता रहता है । ऐसे माहौल में भी उन्होंने और उनके भाई ने पढ़ाई की । सीए पास करणे के लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखा । अच्छे परिणाम के लिए लगातर मेहनत की । सीए परीक्षा में अव्वल आने के बाद प्रेमा ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘सफलता का कोई शॉर्ट कट नहीं होता । मेहनत ही सफलता की कुंजी है ।’
जब शॉर्टकट से सफलता नहीं मिलती, तो जाहिर है कि लंबे रास्ते पर चलकर ही इसे हासिल किया जा सकता है । इसके लिए कुछ ऐसे साथियों की जरुरत होती है, जो इस सफल में प्यार से साथ दें और मनोबल बनाए रखें । ये साथी हैं –
- एकाग्रता बढाएं : सफल होने के लिए एकाग्रता का होना जरुरी है । एकाग्रता यानी किसी भी एक ही विषय पर पूरा ध्यान दिया जाना । किसी व्यक्ति को तब तक सफलता नहीं मिल सकती, जब तक कि वह एकाग्र न हो । बिना रुचि के एकाग्र होना मुश्किल है ।
- समय का महत्त्व समझें : सफलता प्राप्ति में समय का काफी महत्त्व है । जिसने समय के महत्त्व को जान लिया, उसने सबकुछ पा लिया । अत: किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए समय-प्रबंधन (टाइम मैनेजमेंट) जरुर करें । नहीं तो आपको कहना पड़ सकता है, ‘मैंने समय को खोया, समय ने मुझे। ’
- अपनी शक्ति-सामर्थ्य का पता करें : अपनी शक्ति-सामर्थ्य का पता होना चाहिए । हमेशा लक्ष्य ऐसा चुनें, जो अपनी शक्ति-सामर्थ्य में हो । उदाहरण के लिए, किसी की रुचि दर्शन शास्त्र में सफलता प्राप्त करने की हो, तो उसे जबरदस्ती इंजीनियरिंग या डॉक्टरी के लिए प्रयास नहीं करना चाहिए ।
- कर्म करते रहें : सफलता के लिए बिना थके हुए लगातर कर्म करते रहना चाहिए। स्वामी विवेकानंद ने भी कहा है कि ‘कर्म मानव स्वतंत्रता की शाश्वत घोषणा है । अपना कार्य सही दिशा में ही करना चाहिए ।’
- आशावादी बने रहें : हमेशा आशावादी बने रहना चाहिए । नकारात्मक विचार कभी मन में न लाएं । इससे आत्मविश्वास कम होता है । एक कहावत भी है कि ‘मन के जीते जीत है और मन के हारे हार ।’
- जी-जान से भिड जाएं : एक बार मंजिल तय करने के बाद जी-जान से भिड़ जाएं । इसमें कोई कोताही न बरतें । अपने इरादों पर दृढ़ रहें और कभी डिगें नहीं ।