किताबों का नया रूप ऑडियो बुक
किताब के लिए मन में सबसे पहले प्रकाशित-मुद्रित किताबों की छवि आती है लेकिन इस तकनीक प्रधान युग में किताबों के अनेक रूप मौजूद हैं। अब ई-बुक, ऐप बुक, ऑडियो बुक मौजूद हैं, जिनको सुना पढा जा सकता है। मसलन राही मासूम रजा का उपन्यास ‘आधा गांव’ सिर्फ मुद्रित पुस्तक के रूप में पढा ही नहीं जा सकता बल्कि ऑडियो बुक के रूप में सुना भी जा सकता है। ई-बुक के रूप में पढा ़भी जा सकता है। ऑडियो बुक ने किताब की संभावनाओं का बहुत तरह से विस्तार किया है, उससे समाज के अलग अलग तबके के लोगों को अलग अलग तरह से जोडा भी है। कुछ महीने पहले मेरे ७५ वर्षीय पिताजी ने मुझे यह कहकर चौंका दिया था कि वे देवदत्त पट्टनायक की किताबें ऑडियो बुक में सुनते हैं।
तकनीक के विस्तार के साथ हिंदी में पुस्तक के जितने नए रूप आए हैं, यानी ई-बुक, ऐप बुक और ऑडियो बुक, उनमें सबसे कम समय में हिंदी समाज में ऑडियो बुक ने अपनी-अपनी जमीन पुख्ता की है। आज ऑडियो बुक के क्षेत्र में दो बहुराष्ट्रीय कंपनियां हैं, स्वीडन की कंपनी स्टोरी-टेल और अमेरिकी कंपनी ऑडिबल। इनके अपने ऐप हैं जिनके माध्यम से कहानियों को फोन पर सुना जा सकता है। इनके संकलन में सैकड़ों-हजारों की तादाद में हिंदी का क्लासिक साहित्य मौजूद सुनाने की परम्परा ने बचाए रखा, जीवंत बनाए रखा।
मैं अपना अनुभव बताऊं तो मिथिला के बाढ़ग्रस्त इलाके के होने के कारण किस्सों का महत्व मेरे लिए अलग तरह का है। बाढ़ के दिनों में कई बार दो-दो महीने तक हम अपने घरों में घिरे रहते थे। हमारे लिए मन बहलाव का साधन कहानियां ही होती थीं। मेरे दादाजी रात में घंटों किस्से सुनाते थे और हम बच्चे मंत्रमुग्ध भाव से सुनते रहते थे। किस्सागोई हमारी परम्परा रही है है। सारी धार्मिक कथाएं कथावाचन के माध्यम से ही समाज में प्रचलित हुई हैं। ऑडियो बुक उसी सुप्त परम्परा को जगाने का काम कर रही है है।
इस माध्यम में आपको किसी किताब को सुनने के लिए कहीं एक जगह बैठे रहने की कोई जरूरत नहीं होती। आप मेट्रो, लोकल-ट्रेन, बसों की यात्रा करते हुए किताब सुन सकते हैं, गाड़ी ड्राइव करते हुए किताबें सुन सकते हैं, टहलते हुए व्यायाम करते हुए किताब सुन सकते हैं। महज कुछ सौ महीने का किराया देकर आप इन ऐप पर पेशेवर आवाज में किताब के जादू से रूबरू हो सके हैं, इसके अलावा कई ऐप हैं जो मुफ्त में किताबों को सुनने का अनुभव प्रदान करती हैं। इसके अलावा, यूट्यूब के अनेक चैनलों पर कहानियों, उपन्यासों के साथ साथ कविताओं के वाचन के अनुभव से भी रूबरू हो सकते हैं।
ऑडियो बुक पूरी तरह से नया अनुभव है। एक अच्छा वाचक किताबों को एकदम नए रूप में आपके सामने प्रस्तुत कर देता है। मैंने अनेक किताबें सुनी और उनके अनुभव उन किताबों के पढ़ने के अनुभव से भिन्न रही। उदाहरण के लिए मैं भगवतीचरण वर्मा के उपन्यास ‘चित्रलेखा’ और मोपासां की कहानियों को सुनने के अपने अनुभव को साझा करना चाहूंगा। वाचन करने वाले की आवाज और उसकी शैली ने अलग तरह का अनुभव दिया। मुझे बचपन में सुने अपने किस्सों की याद आई। मैं अक्सर सुबह की सैर करते हुए कोई कहानी या किसी किताब का अंश सुनने की कोशिश करता हूं। इस तरह समय का सदुपयोग हो जाता है, पुस्तकीय ज्ञान भी मिल जाता है।
ऐसे अनेक ऐप हैं जो आपको अपने फोन में साहित्य को लगभग मुफ्त सुनने की सुविधा प्रदान करते हैं और उनके पाठक लाखों में हैं और लगातार बढ़ रहे हैं। इसका एक बडा ़कारण यह है कि हिंदी का बडा ़पाठक वर्ग आज भी गांवों-कस्बों में हैं, जहां किताब की दुकानें नहीं हैं। ऐसे में ऑडियो बुक उनके फोन में सैकड़ों हजारों किताब के विकल्प पहुंचा देता है। जब लॉकडाउन के दिनों में सब कुछ बंद था ऑडियो बुक सुनने सुनाने पर कोई बंदिश नहीं थी। इसकी उपयोगिता नए सिरे से समझ आई।
हिंदी में प्रिंट किताबों के पाठक कम लगते हों लेकिन पाठकों की संख्या, किताबों में रूचि रखने वालों की संख्या कम नहीं है। ऑडियो बुक जैसे माध्यमों के कारण हिंदी किताबों का ऐसा पाठक वर्ग भी तैयार हुआ है जिसको हिंदी सुनने का वैसा अभ्यास नहीं रहा है लेकिन हिंदी में सुनने सुनाने का अच्छा अभ्यास रहा है। यही कारण है कि ऑडियो बुक ऐसे पाठकों को भी हिंदी किताबों से जोड़ रहा है जो पारम्परिक रूप से हिंदी के पाठक नहीं रहे हैं, जैसे फिल्म अभिनेता, खिलाड़ी, अलग अलग पेशों से जुड़े लोग।
स्टोरी-टेल के ऐप पर मेरी भी कुछ किताबें हैं, कुछ कहानियां हैं। एक बार मेरी कहानी पढ़कर फरीदाबाद के एक जाने-माने डेंटिस्ट ने फोन किया और एक बार मनोहर श्याम जोशी पर लिखित मेरी संस्मरण पुस्तक को सुनकर एक प्रसिद्ध अभिनेता ने मुझे फोन किया।
हाल के दिनों में हिंदी के विस्तार में ऑडियो बुक की भूमिका भी बहुत बड़ी रही है। यह एक बडा ़बाजार है जिसके विस्तार की अनंत संभावनाएं हैं। हो सकता है आने वाले समय में किताब का मतलब ऑडियो बुक भी हो जाए।
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प्रभात रंजन